-नववधु
नमनमंच ?
बिटिया दो परिवारों की होती खुशियां,
मायके में खेलती,पढ़ती बढ़ती,
संस्कारों से युक्त बिटिया
पराए घर चलती,
सपने आंखों में लिए नववधु ससुराल के अंगना में प्रवेश करती,
गुणों की खान संयम,शील
भी रखती,
सास -ससुर माता-पिता के जैसे,
देवर जेठ भाई-बंधु सम ऐसे,
जेठानी नन्द बड़ी बहिन हो जिस तरह,
भरतार हो सच्चा मीत- सा
यह भाव लिए नए घर में खुशियां फैलाती,
आदर सम्मान करूं सबका कोशिश करती,
मिले प्यार बेटी जैसा, दुलार बहन सा, पति संग हम दोस्त का सा यही कामना करती,
नववधु जब गृह प्रवेश करती।
– सीमा गुप्ता, अलवर राजस्थान