नवरात्र के नौ दिन
नवरात्र के नौ दिनों ने
बचपन की याद दिलाई
आस पड़ोस में बालिकाओ
को कंजक थी जाती खिलाई
सुबह से ही नए वस्त्र
पहन होना तैयार
अगल बगल के घरों से
न्योतों की भरमार
फिर निकलती थी
टोली सज धज के
खाने को हलवा, पूरी गरमा
गरम और स्वादिष्ट काले चने
नन्ही देवियों को
बैठाते एक कतार में
दक्षिणा देते, आशीर्वाद
लेते प्रेम भाव से
मुट्ठी में बंद सिक्के
अमीरी महसूस कराते
उसमें टॉफी, चूरन, चाट
कितना कुछ खा पाते
ये खूबसूरत परंपरा
यूं ही आगे बढे
हर कन्या देवी रूप
में पूजी जाती रहे
चित्रा बिष्ट