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18 May 2023 · 1 min read

नवयौवना

दर्पण में मुख देखती,छुप-छुप बारंबार।
खुश होती नवयौवना, एकटक छवि निहार।।

कभी लटों से खेलती,करती कभी दुलार।
मंद-मंद मुस्का रही,अपना रूप सँवार।।

लाली,बिन्दी,पाउडर,चुनरी गोटेदार।
नैनों में काजल भरे, पहने मुक्ता हार।।

मुग्ध मगन हो देखती,नख-सिख तक श्रृंगार।
इठलाती नवयौवना,हँसते फूल बहार।।

कुंतल वेणी से सजा,टीका हरशृंगार।
मदन वाण घायल करे,छिड़े हृदय के तार।।

अल्हड़-सी बाली उमर,मन चंचल सुकुमार।
अंगभूत मादक कसक, वशीभूत संसार।।
-लक्ष्मी सिंह
नई दिल्ली

Language: Hindi
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