नवबंर 2018 कविता प्रतियोगिता -विषय “मां “
मां ! तुम मेरे जीवन की झंकार हो,
तुम मेरे हर क्षण का पुलकित नाद हो ।
मां ! तुम मेरी वसुंधरा हो,
तेरे सहारे बुनती हूं सपने जो बिखेर हों ।
मां ! तुम मेरी साक्षात देवी हो,
पाती हूं हर अक्स अपना तुझ में जैसे मोती हो ।
मां ! तुम मेरी हरियाली हो,
देती हो मेरे दु:ख को सहारा खिल फूलों सी हो ।
मां ! तुम मेरा पवन हो,
उड़ती फिरती मैं निश्चल अपने पथ पर अडिग हो ।
मां ! तुम मेरा जल हो ,
जिससे शीतल मन सब कर्म धर्म निभाती प्रवाहित हो ।
मां ! तुम सूरज चांद तारा हो,
गतिमान हो मेरा हर पल पाए विस्तृत आकार हो ।
मां ! तुम मेरा संसार हो ,
संस्कार -संस्कृति को बना मुझमें छुपी ढाल हो ।
मां !तुम मेरी विधाता हो ।
मांगू जो कुछ भी तुझसे सच्चे तन-मन की पुकार हो ।
मां ! तुम जननी , जन्मदात्री, जीवदायिनी,
करुं गुणगान कैसे मुख से , मैं आज भी निशब्द हूं ।
शशि कपूर द्वारा रचित मौलिक रचना