नवदुर्गा:प्रकीर्तिता: एकटा दृष्टि।
नवदुर्गा:प्रकीर्तिता:एकटा दृष्टि।
-आचार्य रामानंद मंडल।
नवदुर्गा:प्रकीर्तिता: इ शीर्षक हय वरीय समीक्षक आ आलोचक रमण कुमार सिंह के नवरात्रा में लिखल साहित्यिक समीक्षा श्रृंखला के।परंच इ साहित्यिक समीक्षा महिमा गान हो के रह गेल हय। इंहा तक कि लेखिका के नवदुर्गा कहल गेल।अइ श्रृंखला के साहित्यकार नाटकार कुणाल झा आलोचना करैत कहलन कि इ साहित्यिक सांप्रदायिकता हय। वास्तव मे श्रृंखला के रूप मे महिला साहित्यकार के नवदुर्गा के रूप मे प्रतिस्थापित न करे के चाही। कारण साहित्य से संस्कृति के निर्माण होइ छैय। महाकवि विद्यापति के रचना। उगना रे मोर कतह गेला।से उगना (उग्रनाथ ) महादेव आइ मिथिला में प्रतिस्थापित हय। भले वो प्रो मायानंद मिश्र के अनुसार दंत कथा के वा काल्पनिक उगना रहय।त वर्तमान मे जे साहित्यिक नवदुर्गा के रूप मे १.दीपिका चंद्रा २.संस्कृति मिश्र३.सुधा ठाकुर ४.दीपिका झा ५. नेहा झा मणि ६.मुन्नी कामत ७.निवेदिता झा ८.अभिलाषा झा आ ९.रोमिशा झा प्रतिस्थापित कैल गेल हय। कालान्तर मे नौ नवदुर्गा में स्थापित हो जायत। मैथिली साहित्य मे प्रश्न पूछल जायत कि मैथिली साहित्य मे नवदुर्गा के नाम बताउ त उतर मे इहे नवदुर्गा के नाम लेल जायत।
अंततः समीक्षक आ आलोचक के एहन शीर्षक आ महिमा मंडन से बचे के आवश्यकता हय।
@आचार्य रामानंद मंडल सीतामढ़ी।