#नवगीत-
#नवगीत-
■ मेरे पीछे ना दौड़ो…।।
【प्रणय प्रभात】
मैं बादल हूँ बस धरती की प्यास बुझाऊंगा।
मेरे पीछे ना दौड़ो मैं हाथ ना आऊंगा।।
– मुझमें जितना नीर, वो सब धरती से पाया है,
उसको कौन सहेजे, जो सामान घराया है?
एक अमानत धरती की, उसको लौटाऊंगा,
मेरे पीछे ना दौड़ो मैं हाथ ना आऊंगा।।
– साथ हवा के बह जाना मेरी मजबूरी है,
मुझे पता धरती से मेरी कितनी दूरी है।
फिर भी इक नाता अटूट मैं उसे निभाऊंगा,
मेरे पीछे ना दौड़ो मैं हाथ ना आऊंगा।।
– रहूँ कहीं भी, पर जलधारा धरती पाएगी,
ये ही धारा बस कुछ क्षण को हमें मिलाएंगी।
मिलन-पर्व पावस होगा जब टेर लगाऊंगा,
मेरे पीछे ना दौड़ो मैं हाथ ना आऊंगा।।
– नन्हीं-नन्हीं बूँदें हैं. मैं हूँ या धरती है,
एक मिलन ऐसा जिससे ये सृष्टि सँवरती है।
धरती के दामन को कुछ अंकुर दे जाऊंगा।।
मेरे पीछे ना दौड़ो मैं हाथ ना आऊंगा।।
●संपादक/न्यूज़&व्यूज़●
श्योपुर (मध्यप्रदेश)
(गीत समर्पित सृष्टि के दो मूल आधारों के नाम)