नवगीत
नवगीत
सपना छलते भ्रमित चक्षु,
मृगमरीचि सुरनार।
पलक झपक नौ दो ग्यारह,
चपल चंचला कार।
अंबुद वर्णी मृगनयनी,
अंबुज छव कचनार।
वाणी पिक सुरीली तान,
पुष्प वसन तन धार।
लख चार चांद मुख मंडल,
आभा प्रभा अपार।
धवल तुषार सम कामिनी,
लज्जित सुमन अपार।
खिले पंकज दोनों अधर,
छलक सोम रस धार।
सम बेला कटि झुक जाए,
मुदित हुई गुलनार।
ललिता कश्यप जिला बिलासपुर हिमाचल प्रदेश