नवगीत
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दादाजी का बड़ा गड़गड़ा
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चूल्हे पर बैठी दुःखगाथा
याद रही है ताग
बलुई पर के तरबूजों की
फसलों की रखवाली
भैंस चराते चरवाहों की
फूहड़-फूहड़ गाली
दादाजी का बड़ा गड़गड़ा
सुलगाने की आग
सावन-भादो की बारिश में
अँगना दहता खोरा
बचपन की बूढ़ी नानी का
नहीं उठाना कोरा
चली गँड़ासी कटी तरजनी
चेचक वाला दाग
बँसवारी की चिडियों का वह
असहज असहन ताना
आ जाना घोड़े पर चढ़कर
नीलामी का थाना
खपरैलों की ओरी आकर
भुट्टा खाता काग
मकई के खेतों का चुनना
नोनी-बथुआ-मोथा
मुंशीजी की डाँट लगाना
और पढ़ाना पोथा
माटी का घर, रोज निकलना
धरनी पर का नाग
शिवानन्द सिंह ‘सहयोगी’
मेरठ