नवगीत
के बोलत बा !
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‘पाँचरतन’ मैं बोल रहा हूँ
‘रामसुभग’ का बड़का बेटा
पास खड़ा है ‘रामधियानी’
के बोलत बा ! नाम बताव !!
‘रामसकल’ बीमार पड़े हैं
किसी आँख में नींद नहीं है
कैंसर है ‘डकडरवा’ कहता
बचने की उम्मीद नहीं है
परसों से ही भरती जब से
‘गहन-चिकित्सा’ की ‘निगरानी’
के बोलत बा ! नाम बताव !!
दो बोतल कल खून चढ़ा था
होश नहीं है फिर भी आया
बहुत दुखी है ‘रामपियारी’
हुआ नहीं चुप ‘रामलुभाया’
शायद कल ‘अपरेशन’ होगा
‘दौलत सिंह’ के ‘बा’ अगवानी
के बोलत बा ! नाम बताव !!
टेलीफोन खराब पड़ा है
क्या बोले हो नहीं सुनाता
‘रामबुझावन’ गया बधारी
सोता पर का खेत जुताता
धवरी ‘गइया’ ‘बछा’ बिआई
आँधी आई ढही पलानी
के बोलत बा ! नाम बताव !!
मैं ‘असतुरनी’ जवा तोड़ती
जगी हुई हूँ बड़े भोर से
‘रामसमुझ’ की छुटकी आजी
बोल रही हूँ जोर-जोर से
कान हुये हैं कब के बहरे
आँखों की है खतम कहानी
के बोलत बा ! नाम बताव !!
करता हूँ मैं बंद ‘मुबाइल’
चलिये कोई बात नहीं है
अभी घड़ी में तीन बजे हैं
दिन बाकी है रात नहीं है
अपना निर्णय शुभ-शुभ देगी
‘काली माई’ की दीवानी
के बोलत बा ! नाम बताव !!
शिवानन्द सिंह ‘सहयोगी’
मेरठ