नवगीत : अरे, ये किसने गाया गान
नवगीत
किसने गाया गान ?
अरे! ये किसने गाया गान
हृदय की मचल उठी है आन ।।
कान में रम बंसी की तान
सुरों का गुंजन नूतन गान
थिरकने लगा हृदय संगीत
बता दो किसने गाया गान
हृदय की मचल उठी है आन ।।
न जाने किन अधरों से फूट
छोड़ बेसुध रागों की टूट
झरे निर्झर मादक अभिराम
प्राण !ये किसने गाया गान
हृदय की मचल उठी है आन ।।
सुमन सा खिला अनछुआ रूप
रूप की फैली कोमल धूप
उमगता उर में है उल्लास
महकता तन मन के संग प्राण
हृदय की मचल उठी है आन ।।
बनी है किसी पागल प्यास
भरी है जिसमे चाह हुलास
बांधती बन्धन नूतन दिव्य
हो रहा मुझको इसका भान
हृदय की मचल उठी है आन ।।
ऊब से पतझर मौसम साथ
ढूंढती आयी है मधुमास
करे अभिनन्दन नूपुर पाँव
बिखर कर टूट रहा अभिमान
हृदय की मचल उठी है आन ।।
घिरा है तिमिर विकट घनघोर
नृत्य करता है मन का मोर
खोजता आया मेरे पास
नही पर कुछ था मुझको ध्यान
हृदय की मचल उठी है आन ।।
जन्म से पड़े स्वप्न है मन्द
हुए नयनों में आ कर बन्द
सुनों अब पूरी मेरी बात
प्यार का छाया नवल वितान
हृदय की मचल उठी है आन ।।
सुशीला जोशी, विद्योत्तमा
9719260777