*नर से कम नहीं है नारी*
नर से कम नहीं है नारी, भविष्य की है ये तैयारी ।
नर अगर है देव तो, देवी का स्वरूप है नारी।
दोनों से ही घर रिश्ते नाते, गूंजे बच्चों की किलकारी।
नर अगर है वर्तमान तो, भावी दौर की आस है नारी।
सृष्टि का सृजन नारी से, इस बिन नर अधूरा।
ये जीवन के दो पहिये पहलू, सपना करते पूरा।
नर अगर है गगन, धरा का स्वरूप है नारी।
घर सुशोभित है दोनों से, रखना दोनों गहरा प्यार।
नर की ताकत होती दुगुनी, जब नारी करती है वार।
रक्षक जब भक्षक बन जाते, भूल जाती वो श्रृंँगार।
किसी क्षेत्र में कम नहीं नर से, समझो न इसे बेचारी।
साम दाम और दण्ड भेद की, युक्तियांँ आ गईं हैं उसे सारी।
इसे अबला न सबला समझो, घर की इज्जत लाज है नारी।
संविधान से मिले अधिकार, बराबर की है हिस्सेदारी।
नारी है फूलों की क्यारी, महक रही बनकर फुलवारी।
नर ढाल भाल बन करे सुरक्षा, ममता की मिशाल है नारी।
पूजनीय है हर एक नारी, दुष्यन्त कुमार इनका आभारी।
नर से कम नहीं है नारी, भविष्य की है ये तैयारी।।