नर नारी
नर नारी
*******
लेखक, डॉ विजय कुमार कन्नौजे छत्तीसगढ़ रायपुर आरंग अमोदी
———————————————-
संसार में सबसे ऊंचा स्थान नारी का है
फिर नारियां पुरुष के सामने क्यों झुकती है?
उदाहरण, स्वरूप एक व्यक्ति सीढ़ी के ऊपर चढ़ना चाहता था पर उसे सीढ़ी सम्हालने के लिए दुसरा व्यक्ति की जरूरत पड़ा,
दुसरा व्यक्ति सीढ़ी सम्हालने लगा फिर वह पहला व्यक्ति सीढ़ी में चढ़ कर अपना काम करने लगा, अचानक उसे प्यास लगी तब वह ऊपर में चढ़ा व्यक्ति नीचे वाले से कहता है की मेरे लिए पानी ला ,अब सोचिए नीचे वाले व्यक्ति पानी के लिए जायेगा तो ऊपर वाले का क्या हाल होगा, गिरकर मौत के मुंह में चला जायेगा। इसलिए वह बार बार प्रार्थना करता है भैया सीढ़ी छोड़ना मत मैं तेरा पांव पड़ता हूं,तू जो कहेगा मैं तुम्हें दे दूंगा। ठीक वैसे ही नारी का स्थान सबसे ऊपर होते हुए भी उनकी मर्यादा रूपी सीढ़ी को पुरूष जीवनभर सम्हाले रखता है,
अब नीचे वाले महाशय को घमंड हो जाता है की मैं तेरा सीढ़ी सम्हालने का काम किया है मैं तुमसे महान हूं,तब ऊपर रहने वाला व्यक्ति नीचे उतरकर चला जाता है,और वह दूसरा व्यक्ति सीढ़ी पकड़े खड़ा रहता है,जो भी आते,सभी देखनें वाले उसे पागल कहने लगे,कहने का आशय यह है कि जब ऊपर में को चढ़ा है तभी नीचे रहकर सीढ़ी सम्हालने वाले का सम्मान है अन्यथा उसका कोई कीमत नही है , ठीक वैसे ही नारी है तब पुरूष का सम्मान है विधुर व्यक्ति का कोई इज्जत नहीं है।
लिखने का भाव यह है कि,नर और नारी एक दुसरे का पुरक है, जैसे आंख और प्रकाश, आंख है पर प्रकाश नहीं है तब भी दिखाई नहीं पड़ता और प्रकाश है आंख से अंधा है पर भी दिखाई नहीं पड़ता अर्थात देखने के लिए आंख और प्रकाश दोनों जरूरी है ठीक वैसे ही संसार में पति-पत्नी दोनों की अपने अपने एक विशेष महत्व है
एक दुजे के बिना दोनों अधुरा है, इसलिए नारी को अलग समझना मुर्खता है वह आधे अंग की मालकिन अर्धांगिनी कहलाती हैं,
पति पत्नी एक दुजे के दुःख दर्द समझकर
जिंदगी की गाड़ी को बराबर चलाएं, इसलिए नर नारी को गाड़ी का दो पहिया भी कहा जाता है।
धन्यवाद
————–++—————————-+++–