नये साल की पहली सुबह
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नये साल की पहली
सुबह की सर्दी,
और एक कप चाय की
गरमा-गरम चुस्की।
ठंढ से ठिठुरती,
रजाई में सिकुरती।
रिश्तों की आहट,
कुछ सकपकाहट।
पक्षियों की मधुर चहक,
शुभकामनाओं की महक।
बीते बरस की
यादें खट्टी-मीठी,
मन में संवेदनाओं
की चहलकदमी।
हर मुख सजीला,
हर ढंग रंगीला।
रूठे हुओ की मनुहार,
अपनो का प्यार दुलार।
हर ओर प्रसन्नता,
आशा की किरण उगता।
नव वर्ष की पहली सुबह,
मन को करता हरा-भरा।
हँसती हुई उषा नव वर्ष
का स्वागत करता हुआ।
नई उम्मीदें, नई जोश,
नई ताजगी भरता हुआ।
नई साल की पहली सुबह,
जाने कितने बाते गई कह।
????-लक्ष्मी सिंह ?☺