नये सफर में गये हो जब से बड़ी शराफत दिखा रहे हो।
नये सफर में गये हो जब से बड़ी शराफत दिखा रहे हो।
पुराने जख्मों के जो निशां हैं सफाई से तुम छुपा रहे हो।।
हसीन महफिल की रौनकों में लरज रहे हो बेखौफ़ होकर,
नहीं मैं अंजान मेरे हमदम ये फासले खुद बढ़ा रहे हो।।
— ननकी 15/09/2024