नये पेड़
रखे जा चुके हैं करारे लगाकर
सवालात उल्फ़त के सारे लगाकर
हैं दिल की ख़राशें गले की नहीं जो
सुकूँ आ भी जाये गरारे लगाकर
चले जायें क्यों कर ओ दुनिया-ए-दिल हम
मोहब्बत की कश्ती किनारे लगाकर
अधूरा फ़लक है बिना चाँद के शब
करे तो करे क्या सितारे लगाकर
करे कोई साबित ये सच झूठ इल्ज़ाम
हमारे ही सिर या तुम्हारे लगाकर
धधकते हैं शोले तो जलता है ईंधन
हवा थम ही जाये शरारे लगाकर
बिना सोचे समझे बिना देखे भाले
मिला क्या है नफ़रत के आरे लगाकर
चलो देखते हैं कि लगता है कैसा
नये पेड़ हम प्यारे प्यारे लगाकर