नये ख्याल पुराने रिवाज़
नये ख्याल पुराने रिवाज़
मिलकर पहनेंगे ताज।
संस्कृति का मुख्यालय होगा ,
नया ख़्याल का आलय होगा।
न हो किसी का भी अनदेखा ,
एक नयी लकीर एक लक्ष्मण रेखा।
दोनों का करना होगा लिहाज ,
न हो किसी को किसी से ऐतराज।
जहां मिल जाते हैं दोनों का शान,
पाते हैं प्रतिष्ठा,मान और सम्मान।