नयी पीढ़ी के रचनाकारों की सशक्त प्रतिनिधि – मोनिका शर्मा ‘मासूम’
मुरादाबाद, १ मार्च २०२०
अखिल भारतीय साहित्य परिषद् (मुरादाबाद इकाई) की ओर से चार साहित्यकारों के सम्मान में आज हुए सम्मान-समारोह में सम्मानित कवयित्री एवं शायरा, बहन श्रीमती मोनिका शर्मा ‘मासूम’ (मुरादाबाद) के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर आधारित, मेरे द्वारा पढ़ा गया आलेख – ??
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समय-समय पर साहित्य-जगत में ऐसी प्रतिभाओं का उदय होता रहता है जो अल्प समय में ही सभी के लिये एक उत्कृष्ट व अनुकरणीय उदाहरण बन जाती हैं। महानगर मुरादाबाद में आवासित युवा कवयित्री एवं शायरा मोनिका शर्मा ‘मासूम’ ऐसी ही विलक्षण प्रतिभाओं में से एक हैं। आपका जन्म १७ सितम्बर १९७८ को आज़ादपुर (दिल्ली) में हुआ था। स्मृतिशेष श्री विनोद शर्मा एवं श्रीमती ऊषा शर्मा जी की यशस्वी पुत्री मोनिका शर्मा की प्रारंभिक शिक्षा, सर्वोदय विद्यालय मॉडल टाउन (दिल्ली) में हुई। आपने दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक की उपाधि प्राप्त की। जीवन के दायित्वों का निर्वाहन करते हुए आपकी साहित्यिक यात्रा का शुभारंभ वर्ष २०१५ से हुआ। यद्यपि आप मुख्यत: ग़़ज़ल लेखन के लिए जानी जाती हैं परन्तु, लेखन की अन्य विधाओं जैसे दोहा, मुक्त छंद, गद्य, गीत आदि में भी आपकी उत्कृष्ट लेखनी समान रूप से क्रियाशील रही है। यहाँ पर यह भी उल्लेखनीय है कि, भिण्ड (म० प्र०) के लब्ध-प्रतिष्ठित साहित्यकार श्री ओमप्रकाश ‘नीरस’ जी ने आपको ‘मासूम’ उपनाम दिया था। आम जीवन को सहज और सरल तरीके से साकार कर देना आपकी रचनाओं की विशेषता रही है।
बहन मोनिका शर्मा ‘मासूम’ से मेरा सर्वप्रथम परिचय अब से लगभग चार वर्ष पूर्व, व्हाट्सएप पर मुरादाबाद के लोकप्रिय साहित्यिक समूह ‘साहित्यिक मुरादाबाद’ के माध्यम से हुआ परन्तु, उत्कृष्ट लेखन एवं व्यक्तित्व की धनी इस प्रतिभा से मेरी सर्वप्रथम भेंट विश्नोई धर्मशाला, मुरादाबाद पर आयोजित एक होली कार्यक्रम में हुई थी। चार वर्ष पुराने इस परिचय के आधार पर मैं स्पष्ट रूप से कह सकता हूँ कि आप एक उत्कृष्ट रचनाकारा होने के साथ-साथ एक उत्कृष्ट व्यक्तित्व की स्वामिनी भी हैं। सुप्रसिद्ध नवगीतकार श्री योगेन्द्र वर्मा ‘व्योम’ जी ने एक स्थान पर कहा है – “एक अच्छा रचनाकार बनने के लिये पहले एक अच्छा इंसान होना आवश्यक है।” मेरे विचार से बहन मोनिका जी इन दोनों ही मानकों पर पूर्णतया खरी उतरती हैं। नि:संदेह उनके अन्तस में विद्यमान इस उत्कृष्टता ने ही उन्हें एक यशस्वी रचनाकारा के रूप में प्रतिष्ठित किया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार, मुरादाबाद के सुप्रसिद्ध शायर श्रद्धेय डॉ० अनवर कैफ़ी जी आपके काव्य-गुरू रहे हैं जिन्होंने आपकी प्रतिभा को निखारने में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है।
आपको आपकी इस अकूत प्रतिभा के चलते अनेक प्रतिष्ठित मंचों से सम्मानित भी किया जा चुका है। यहाँ पर यह भी उल्लेखनीय है कि, महानगर मुरादाबाद के साहित्यिक-पटल पर आपका आगमन वर्ष २०१६ में, हिन्दी साहित्य संगम की एक काव्य-गोष्ठी के माध्यम से हुआ था। मेरा सौभाग्य है कि अपनी साहित्यिक यात्रा में मुझे आपके साथ विभिन्न कार्यक्रमों में मंच साझा करने का अवसर मिलता रहता है। आपकी प्रमुख साहित्यिक-उपलब्धियाँ निम्न प्रकार हैं –
१) ‘काव्यदीप नवोदित रचनाकार सम्मान’ – वर्ष २०१७
२) कार्तिकेय साहित्यिक एवं सामाजिक संस्था द्वारा ‘ग़ज़ल भूषण सम्मान’ – वर्ष २०१७
३) ग़ज़ल अकादमी व ग्लोबल न्यूज़ द्वारा ‘शहाब मुरादाबादी सम्मान’ – वर्ष २०१८
४) विश्व हिन्दी रचनाकार मंच द्वारा ‘शहीद स्मृति सम्मान’ – वर्ष २०१८
५) आध्यात्मिक साहित्यिक संस्था काव्यधारा, रामपुर द्वारा सम्मान – वर्ष २०१८
६) ‘अनकहे शब्द’ मंच द्वारा ‘ग़ज़ल भूषण सम्मान’ – वर्ष २०१८
७) उ० प्र० राजकीय सिविल पेंशनर्स परिषद्, मुरादाबाद द्वारा सम्मान – वर्ष २०१९
८) मानसरोवर विद्यालय परिवार, मुरादाबाद की ओर से ‘शकुन्तला देवी स्मृति साहित्य-सम्मान – वर्ष २०२०
मित्रो, यद्यपि ग़ज़ल मेरी विधा नहीं है परन्तु, बहन मोनिका जी को सुनने एवं पढ़ने का जितना भी अवसर मुझे मिला है, उसके आधार पर मैं कह सकता हूँ कि, साहित्यिक क्लिष्ठता एवं गूढ़ शब्दों से हटकर आम जीवन को आम भाषा में जनमानस तक पहुँचाना आपकी रचनाओं की विशेषता रही है। इस आलेख का वाचन करते समय आपकी कुछ अत्यंत उत्कृष्ट पंक्तियाँ मेरे स्मृति-पटल पर उभर रही हैं। कुछ का यहाँ उल्लेख अवश्य करना चाहूंगा। एक रचना में आप कहती हैं –
“खयाल बनके जो ग़ज़लों में ढल गया है कोई
मिरे वजूद की रंगत बदल गया है कोई
सिहर उठा है बदन, लब ये थरथराए हैं
कि मुझमें ही कहीं शायद मचल गया है कोई”
आपकी एक अन्य बहुत खूबसूरत ग़ज़ल के चंद अशआर, जो मुझे भी बेहद पसंद हैं, इनमें आप कहती हैं –
“जुबाँ पर आजकल सबके चढीं सरकार की बातें
कलम की नोंक तक आने लगीं तलवार की बातें
जिधर देखो उधर चर्चे ही चर्चे हैं सियासत के
उठा कर देख लो चाहे किसी अखबार की बातें।”
आम जीवन की विवशता को दर्शाती उनकी ये पंक्तियाँ भी देखें –
“आगे सुई के हो गई तलवार की छुट्टी।
बेतार जो आया हुई अखबार की छुट्टी।
रद छुट्टियाँ हो जाएंगी पुरुषों के हिस्से की,
नारी अगर करने लगे इतवार की छुट्टी।।”
भाषा-शैली का सहज व सरल होना भी आपकी रचनाओं की विशेषता है। अतएव साहित्यिक व्याकरण से पूर्णतया परिचित न होने वाले आम पाठक व श्रोता को भी आपकी रचनाएं आकर्षित करने की क्षमता रखती हैं। इन्हीं विशेषताओं के कारण आज आप महानगर मुरादाबाद ही नहीं अपितु, अन्य अनेक क्षेत्रों के साहित्यिक पटलों पर भी एक प्रतिष्ठित नाम बन चुकी हैं।
व्यक्तिगत रूप से मेरा मानना है कि मोनिका जी को सुनने और पढ़ने का सीधा अर्थ है, ग़ज़ल गीत इत्यादि से साक्षात्कर करना व बतियाना। यद्यपि, आप जैसी अकूत प्रतिभाशाली साहित्यिक प्रतिभा के व्यक्तित्व एवं कृतित्व को चंद शब्दों में समेट पाना संभव नहीं, फिर भी इतना अवश्य कहा जा सकता है कि, बहन मोनिका शर्मा ‘मासूम’ जी के रूप में मुरादाबाद को एक ऐसा अनमोल साहित्यिक रत्न प्राप्त हुआ है जिसकी चमक आने वाले समय में और भी अधिक दूरी तय करेगी।
आपकी इसी सतत साहित्य-साधना को प्रणाम करते हुए, अखिल भारतीय साहित्य परिषद् (मुरादाबाद इकाई) आज आपको ‘साहित्य मनीषी सम्मान’ से सम्मानित करते हुए स्वयं गौरवान्वित हुयी है तथा ईश्वर से प्रार्थना करती है कि आपकी लेखनी निरंतर गतिमान रहते हुए नयी ऊँचाईयाँ प्राप्त करे तथा आपसे प्रेरित होकर आने वाली पीढ़ी भी साहित्य-पथ पर इसी समर्पण के साथ आगे बढ़ती रहे। आपको इस पावन अवसर पर हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाओं सहित –
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– राजीव ‘प्रखर’
दिनांक :
१ मार्च २०२० (रविवार)
स्थान :
महाराजा हरिश्चन्द्र स्नातकोत्तर महाविद्यालय, मुरादाबाद।