नया साल
देखो चला गया एक और साल
देके कुछ प्यारी सौगात ,
लेके दुखों की बौछार
देखो चला गया एक और साल ।
यह साल होली पे नए गालों पर रंग लगा गया ।
बारिश में मुझे भी रुला गया ।
राखी पे कुछ मीठे झगड़े करवा गया ।
ईद पे गले दोस्तों से लगा गया ।
15 अगस्त पर झंडा ऊंचा फैहरा गया ।
बसंत में कुछ दोस्त जिगरी बना गया ।
दिवाली पे कहानी नयी रचा गया ।
क्रिसमस पे सपने कई सजा गया ।
देखो नया साल फिर आ गया ।
जिनको खो दिया उनका अब गम नहीं ,
जिनको पा लिया वह किसी से कम नहीं ।
जो कहते थे ना बदलेंगे वक्त के साथ उनको बदलते ,
और जिन से कभी बात ना हुई उनको मदद करते देख लिया।
अब नये साल में नयी बात फिर बनाएंगे ।
भूलके गम बेईमानों को भी गले लगाएंगे ।
जिनको हमसे नफरत है ,
उनके दिलों में प्यार का दीप हम जलाएंगे ।
आपसी मनमुटाव को छोड़कर ,
26 जनवरी पर प्रेम का तिरंगा हम लहराएंगे ।