नया साल
नया हूँ मैं पुराना भी
मुझे सब साल कहते हैं
रुके बिन ही सदा चलता
कभी भी मैं नहीं थकता
प्रकृति का भाल कहते हैं
मुझे सब साल कहते हैं
खुशी है तो कभी गम है
बदलता रहता मौसम है
समय की चाल कहते हैं
मुझे सब साल कहते हैं
मुझे दिन मास में गिनते
निकलती साँस में गिनते
मुझी को काल कहते हैं
मुझे सब साल कहते हैं
दिसम्बर में बिछड़ जाता
मिलूँ जब जनवरी आता
नई स्वर ताल कहते हैं
मुझे सब साल कहते हैं
खज़ाना याद का भारी
लिए खेलूँ नई पारी
धनी टकसाल कहते हैं
मुझे सब साल कहते हैं
28-12-2021
डॉ अर्चना गुप्ता