नया साल
नया साल
नया साल, लाएँ नई खुशियाँ
गीत खुशी के, गाते हैं।
आओ हम सब, मिलकर फिर से
नव वर्ष आज, मनाते हैं ।।
आओ मिलकर, हर दिन को
एक नया, साल मनाए हम।
भूखा ना हो, देश में कोई
मिलकर खाए, आज कसम ।।
नशा-बीमारी, ना हो घर में
इसे मिलकर, दूर भगाएंगें।
भ्रष्टाचार ना हो, अपने देश में
संकल्प यही हम, खाएंगें।।
नया साल हो गया, गजब अब
व्हाट्सएप पर, मन जाता है।
मैसेज ना आए, कोई इसमें
रिश्तेदार ठन, जाता है।।
इस अवसर पर, हम सब पहले
अपनों से, मिलकर आते थे।
साथ बैठकर, प्यार प्रेम से
मीठे पकवान भी, खाते थे।।
आज तो, हम सब को अपना
हिंदू पंचांग, भी याद नहीं।
चैत्र महिना, भूल गए
अपनों से, कोई संवाद नहीं।।
बारह बजते ही, होटल में
यारों संग, नाचना गाना है।
नशे में नाचे, धूम मचा कर
नया साल तो, बहाना है।।
ना बदली, किसान की सूरत
टैक्स भी, खूब लगाया है।
बदहाल हो रहा, आम नागरिक
नया साल, फिर आया है।।
नए साल में, नई मूर्ति
जनता पर, टैक्स बढ़ाया है।
विदेश गया, भारत का पैसा
विदेशी को, घर में बुलाया है।।
इंटरनेट को, सस्ता करके
आंखों पर, चश्मा चढ़ाया है।
प्याज और दाल, हुई ना सस्ती
उस पर सरचार्ज, बढ़ाया है।।
नव वर्ष हो, कैसा हमारा
सब को, मिलकर बताता हूँ।
राग द्वेष ना, रहे इस दिल में
दिल से, तुम्हें सुनाता हूँ।।