नया साल
—–नया साल——–
—————–
नये साल के आगमन पर
जन गण मन मस्तिष्क पर
चल पाएगा कोई आलोड़न
आएगा क्या कोई परिवर्तन
बदल पाएगी अमूमन सोच
नहीं लगे किसी पर खरोंच
चाहे कोई जाए मुंबई पटना
ना घटे निर्भय जैसी दुर्घटना
बच्ची हो या कोई हो नारी
रास्ते ना आएं कोई दुष्चारी
सदचारी हो सब व्याभिचारी
आमजन रहें सदैव आभारी
ना जलानी पड़ें मोमबत्तियां
ना हो बदिंशे ,ना आपत्तियां
कहीं भय ना हो,नहीं तर्जन
एक दूजे हेतु करें समर्पण
रिश्वतखोरी और बेरोजगारी
देश को मारे मंदी महामारी
दशा किसी की ना हो दुर्दशा
कहीं भी हो ना कोई समस्या
गुलशन में हो सदा हरियाली
चहुँओर हो सदैव खुशहाली
भूखा मरे ना कोई भी गरीब
खुल जाएं सोए हुए नसीब
चारों दिशाओं में हो विकास
कोई किसी का ना हो दास
खुल जाए किस्मत -किताब
बही खातों में नहीं हो हिसाब
राजनीति नहीं हो यहाँ गन्दी
देश में ना हो आर्थिक मन्दी
सोच में ना हो कोई भी खोट
झूठ बलबूते पर ना हो वोट
सभी को मिले काम धन्धा
जलता चुल्हा ना हो ठण्डा
नव वर्ष में हो जाए गर ऐसा
सब की जेब में हो गर पैसा
सुखविंद्र नहीं हो कोई बेहाल
देश हो जाए समृद्ध खुशहाल
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)