नया साल ग़ज़ल ~विनीत सिंह
पुरज़ोर कोशिश है ये साल बेहतर बनाने कि
अगर वो दिख जाए कहीं तो फिर बात और है
उनका दिल , दिल ना रहा परिंदा हुआ
अगर वो टिक जाए कहीं तो फिर बात और है
अब ना होगा इन लबों पे जिक्र ए वफ़ा
कुछ लिख जाए कहीं तो फिर बात और है
फिर से कहीं ना लिख दे मोहब्बत को हम गुनाह
फिर से खड़े है लेकर बाजार में अपना दिल
अगर ये बिक जाए कहीं तो फिर बात और है
~विनीत सिंह
Vinit Singh Shayar