नया साल आ गया (घनाक्षरी)
नया साल आ गया (घनाक्षरी)
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ठिठुर रहे हैं सब ठंड का प्रकोप अब
जनवरी माह देखो विकराल आ गया
काँप रही धरती है काँप रहा गगन है
डर रहा सूरज है जैसे काल आ गया
पक्षियों की कलरव पड़ती सुनाई नहीं
आदमी के हँसने पर सवाल आ गया
कोहरे में कहीं कुछ नहीं दीख रहा किंतु
कुछ कह रहे हैं कि नया साल आ गया
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रचयिताः रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451