Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
30 Dec 2021 · 1 min read

नया साल आ गया (घनाक्षरी)

नया साल आ गया (घनाक्षरी)
■■■■■■■■■■■■■■■

ठिठुर रहे हैं सब ठंड का प्रकोप अब
जनवरी माह देखो विकराल आ गया

काँप रही धरती है काँप रहा गगन है
डर रहा सूरज है जैसे काल आ गया

पक्षियों की कलरव पड़ती सुनाई नहीं
आदमी के हँसने पर सवाल आ गया

कोहरे में कहीं कुछ नहीं दीख रहा किंतु
कुछ कह रहे हैं कि नया साल आ गया
■■■■■■■■■■■■■■■■■■
रचयिताः रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451

160 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Prakash
View all
You may also like:
अलाव की गर्माहट
अलाव की गर्माहट
Arvina
* मुक्तक *
* मुक्तक *
surenderpal vaidya
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
3055.*पूर्णिका*
3055.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
धन्य होता हर व्यक्ति
धन्य होता हर व्यक्ति
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
आया जो नूर हुस्न पे
आया जो नूर हुस्न पे
हिमांशु Kulshrestha
बैगन के तरकारी
बैगन के तरकारी
Ranjeet Kumar
साक्षर महिला
साक्षर महिला
Dr. Pradeep Kumar Sharma
कुंडलिया
कुंडलिया
sushil sarna
वक्त से वक्त को चुराने चले हैं
वक्त से वक्त को चुराने चले हैं
Harminder Kaur
“जागू मिथिलावासी जागू”
“जागू मिथिलावासी जागू”
DrLakshman Jha Parimal
!...............!
!...............!
शेखर सिंह
लघुकथा - एक रुपया
लघुकथा - एक रुपया
अशोक कुमार ढोरिया
"चाँद"
Dr. Kishan tandon kranti
​चाय के प्याले के साथ - तुम्हारे आने के इंतज़ार का होता है सिलसिला शुरू
​चाय के प्याले के साथ - तुम्हारे आने के इंतज़ार का होता है सिलसिला शुरू
Atul "Krishn"
मेरी निजी जुबान है, हिन्दी ही दोस्तों
मेरी निजी जुबान है, हिन्दी ही दोस्तों
SHAMA PARVEEN
■ आज का आभार
■ आज का आभार
*प्रणय प्रभात*
Dr Arun Kumar shastri
Dr Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
कोई वजह अब बना लो सनम तुम... फिर से मेरे करीब आ जाने को..!!
कोई वजह अब बना लो सनम तुम... फिर से मेरे करीब आ जाने को..!!
Ravi Betulwala
गजल सगीर
गजल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
रंगों का त्योहार होली
रंगों का त्योहार होली
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
तीन मुक्तकों से संरचित रमेशराज की एक तेवरी
तीन मुक्तकों से संरचित रमेशराज की एक तेवरी
कवि रमेशराज
*📌 पिन सारे कागज़ को*
*📌 पिन सारे कागज़ को*
Santosh Shrivastava
कर्म-बीज
कर्म-बीज
Ramswaroop Dinkar
किसान
किसान
Dp Gangwar
"प्यार का सफ़र" (सवैया छंद काव्य)
Pushpraj Anant
पति की खुशी ,लंबी उम्र ,स्वास्थ्य के लिए,
पति की खुशी ,लंबी उम्र ,स्वास्थ्य के लिए,
ओनिका सेतिया 'अनु '
*घने मेघों से दिन को रात, करने आ गया सावन (मुक्तक)*
*घने मेघों से दिन को रात, करने आ गया सावन (मुक्तक)*
Ravi Prakash
बीतल बरस।
बीतल बरस।
Acharya Rama Nand Mandal
बहुत कुछ पढ़ लिया तो क्या ऋचाएं पढ़ के देखो।
बहुत कुछ पढ़ लिया तो क्या ऋचाएं पढ़ के देखो।
सत्य कुमार प्रेमी
Loading...