नया सामान्य
नया सामान्य
सुबह-सवेरे माँ ने भेजा आज एक उपहार,
देख कर चकित हो गई, अनोखा माँ का प्यार,
खोला तो अंदर मासक, सैनेटाईज़र अौर हैंडवाश पाया,
हर मुश्किल घड़ी में माँ हरियाली छाया,
भेजी थी आशीष अरु समझाया,
बिना मासक पहने नहीं कहीं है जाना,
समय मिले तो तुम भी सीखो इसे बनाना।
नया सामान्य के साथ तालमेल का मौसम है यह आया,
माँ के अनुकूल सुख मंत्र की गूँज से मन मेरा हर्षाया,
हाँ माँ मैं भी सीख रही हुं वर्तमान के साथ चलना,
जीवन शैली सीख तुम्हारी, हौंसला रख आगे बढ़ना। ✍©️
अरुणा डोगरा शर्मा।