नया सपना
आंखों में चमक
चेहरे पर मुस्कान
घर से निकले
सपना पूरा करने
जिंदगी की क्रूर
कड़वाहटों तले
सपना रौंदा गया
घर भी पीछे छूटा
सोच रहे –
रूकें, ठहरकर
किरची बटोरें
सपने की, या
आगे बढ़ जायें
हिम्मत जुटायें
नये सपने की…!!
रचनाकार :- कंचन खन्ना,
मुरादाबाद, (उ०प्र०, भारत)।
सर्वाधिकार, सुरक्षित (रचनाकार)।
दिनांक :- १९.०२.२०१७.