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20 May 2023 · 1 min read

नया युग

हर युग की वेला थी, शर्म लज्जा भी एक गहना थी
सब की अपनी मर्यादा थी, पीढ़ी से पीढ़ी होती थी

बेटे की पिता, बेटी की माता से, भाई भाई मे शर्म थी
समाज का अहसास था, शर्मिंदगी का भी आभास था

अब क्या समय दिखाया, बाप ने बेटे के संग सटा लगाया
ड्रीम-टीम बोलकर, जुआ-सटा को मनोरंजन भी बताया

अत्याधिक मोह मे, बिन परिश्रम पालेना ही जुवा बताया था
महाभारत में युधिष्टर ने, जुवे मे हार शर्म लज्जा को गवाया था

तब मामा शकुनि के पासो ने, अपना खेल दिखलाया है
आज क्रिकेट टीम ने, फिर से सब को सटोरिया बनाया है

समय का फेर बदला है, शर्म लज्जा ने अपना भेष बदला है
मोह, लालच की भुख से, शर्म लज्जा को बेच कर खाया है

मधुशाला, कैसिनो, तवायफों का, सरकारी लाइसेंस बनवाया होगा
शकुनि क्रिकेट का ड्रीम टीम होगा, तो युधिष्टर सा हाल सबका होगा

अनिल चौबिसा
9829246588

Language: Hindi
198 Views

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