नया दौर
भ्रष्टाचारियों के चेहरे से नकाब हट रहे हैं।
अत्याचारों के काले बादल अब छंट रहे हैं।।
कौन कहता है खुशियां आएंगी कयामत के बाद।
दरियां खुशियों के लबालब हो बह रहे हैं।।
भ्रष्टाचारियों के चेहरे से नकाब हट रहे हैं।
अत्याचारों के काले बादल अब छंट रहे हैं।।
कौन कहता है खुशियां आएंगी कयामत के बाद।
दरियां खुशियों के लबालब हो बह रहे हैं।।