“नया दिन”
आज से
मन में “शंकाओं”के जो जाले हैं
पहले उन्हें हटाना
और ये जो गर्द जमी “नाउम्मीदी” की
उसे अच्छे से झाड़ना
दिमाग का हर हिस्सा खंगालना
टटोलना हर किस्से को
निकाल फेंकना उन “गलतफहमियों” को
जिसने बिगाड़ा कोई भी रिश्ता हो
फटकारना खुद को
कुछ “बेतुकी” हरकतों के लिये
पोंछना उन आंसूओं को
जिन्हें अक्सर अनदेखा किया तुमने
धो देना उस मैल को
मन का कोना कोना सना है जिससे
बातें भद्दी,नज़रें गंदी
फैंक देना ऐसे जैसे रद्दी
और फिर…..
कुछ नये “इरादे” लाना
“हिम्मत” की बंदनवार लगाना
विश्वास और आस से
हर दीवार रंगना
मन मंदिर सलीके से सजाना
और प्रेम के दीपक को
लबालब भरना
सुनो
अपने दिन की शुरुआत
अब से ऐसे ही करना…
स्वरचित
“इंदु रिंकी वर्मा”