नया आसमाँ
तिरे साथ का अलग ही है मजा
नई सी हवा है नया आसमाँ
खुदा भूल शायद गया वो कला
लगा हमे न अच्छा कोई तेरे सिवा
सुरत को नही सिरत को चाहते
जहां खूबसूर सादगी से भरा
मौसम मे भी बदलाव देख रहा हूँ मै
है क्या असर ये तिरे आगमन का
वो गम आते आते लौट जाता है अब
जो तन्हाई को महसूस कराए था