नयन से छू लिया मैंने तो मुझको बेशरम कहना।
1222 1222 1222 1222
नयन से छू लिया मैंने तो मुझको बेशरम कहना।
जुबां ए तल्ख़ से यारा मुझे अब तो सनम कहना।
किसे चाहा है कबसे हां तुम्हें मेरी कसम बोलो।
सिवा तेरे नज़र देखे अगर कुछ तो वहम कहना।
जो मुझसे दूर जाएगी तुझे तब होश आएगी।
सुहानी रात सुलगेगी विरह का ये करम कहना।
मुहब्बत ने दिया ताकत बना जुगनू अभी सूरज।
खिली है फूल बंजर में मुहब्बत का रहम कहना।
करो मत बात क़िस्मत की मुझे किस्मत से क्या लेना
यही दिन आखिरी मेरी मुहब्बत से सनम कहना।
मेरे इन कौल कस्मों पर भरोसा मत करो वरना।
बिछड़कर जी अगर पाए मुहब्बत को वहम कहना।
यहां दीपक वफ़ा करता मगर आंधी की किल्लत है
बुझा दो फूंककर फिर बेवफा मुझको सनम कहना।
©®
दीपक झा रुद्रा