नयनों में बसा हूं,जरा तो निहारो
नयनों में बसा हूं,जरा तो निहारो।
दिल में झाकिए,मुझे तो पुकारो।।
तुम्हारी मांग,सितारों से भर दूंगा।
जरा तुम अपना घुघंट तो उतारो।।
सिंदूर लिए खड़ा हूं,पीछे मैं तुम्हारे।
जरा अपने को आईने में तो निहारो।।
डोली लेकर खड़ा हूं तुम्हारे ही दरवाज़े।
जरा दुल्हन बनकर,अपने को तो सवांरो।।
जहां के गमों में,कभी तुम्हे खोने न दूंगा।
जरा अपने राम को दिल से तो पुकारो।।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम