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1 Feb 2024 · 1 min read

नयनों में तुम बस गए, रामलला अभिराम (गीत)

नयनों में तुम बस गए, रामलला अभिराम (गीत)
_______________________
नयनों में तुम बस गए, रामलला अभिराम
1)
बालक-रूप विराजते, देते आति आनंद
मुखमंडल पर छा रही, मधु मुस्कान अमंद
फिर से सुरभित हो गया, तीर्थ अयोध्या धाम
2)
लाल तुम्हारा आगमन, करता शुभ संचार
सुख एवं समृद्धि के, खुलते सौ-सौ द्वार
सरयू का तट धन्य है, जहॉं तुम्हारा नाम
3)
रमा हुआ तुम में हृदय, दिन हो या हो रात
भीतर है निष्कामता, बाहर झंझावात
मन में आती शांति है, देख-देख छवि श्याम
————————————
रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451

1 Like · 1 Comment · 81 Views
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