नयनों से तीर मत चलाओ
नयनों से तीर मत चलाओ,
हम भी पक्के धनुषधारी है।
अगर हमने तीर चला दिया,
तुमको पड़ेगा बड़ा भारी है।।
नयनों से नीर मत बहाओ,
हम भी दुःख से न खाली है।
तुम केवल नयनों से रोती हो,
हम दिल से भी बे हाली है।।
तुम नयनों से बाते करती हो,
हम इशारों से बाते करते है।
तुम नयन बंद कर लेती हो,
हम दिल में बंद कर लेते है।।
नयन जब कभी तन जातें है,
गुस्से के बादल घिरने लगते है।
जब जब नयन झुक जाते है,
प्यार के बदरा बरस जाते है।।
जब दो नैना मिल जाते है,
एक दूजे के वे हो जाते है।
जब दो नयन बिछड़ जाते है,
एक दूजे की याद तड़पाते है।।
नयनों में जो आंसू बहते है,
कोई समझता है ये पानी है।
जो समझता इनको मोती,
उसने आंसू की कीमत जानी है।।
नयनों की अपनी कहानी है,
जो सबकी जानी पहचानी है।
रस्तोगी ने करा पर्यास लिखने का
पर इस मामले में वह अज्ञानी है।।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम