नमामि गंगे
?नमामि गंगे?
आज मैं पवित्र माँ गंगा पर कुछ लिखने की कोशिश कर रही हूँ।आशा हैं कुछ लिख पाऊंगी।माँ गंगा का आशीष बना रहे यही कामना के साथ आइए शुरू करती हूँ।
गंगा नदी को भारत की नदियों में सबसे पवित्र माना गया है।यह मान्यता है कि गंगा में स्नान करने से मनुष्य के सारे पापों का नाश हो जाता है। मरने के बाद लोग गंगा में राख विसर्जित करना मोक्ष प्राप्ति के लिए आवश्यक समझते हैं, यहाँ तक कि कुछ लोग गंगा के किनारे ही प्राण विसर्जन या अंतिम संस्कार की इच्छा भी रखते हैं। मैं भी ऐसे पवित्र स्थान से ही जुड़ी हूँ मेरा जन्म स्थान हरिद्वार ही हैं ।मुझे गर्व हैं कि मैं भी माँ गंगा से जुड़ी हूँ।
गंगा हिमालय में स्थित गंगोत्री नामक स्थान से निकली है।हिमालय की सारी बर्फ पिघलकर इसमें आती रहती है । अत: इस नदी में पूरे वर्ष जल रहता है । इस सदानीरा नदी का जल करोड़ों लोगों की प्यास बुझाता है । करोड़ों पशु-पक्षी इसके जल पर निर्भर हैं । लाखों एकड़ जमीन इस जल से सिंचित होती है । गंगा नदी पर फरक्का आदि कई बाँध बनाकर बहुउद्देशीय परियोजना लागू की गई है ।
गंगा जल में अनेक विशेषताएँ हैं । इसका जल कभी भी खराब नहीं होता है । बोतल में वर्षों तक रखने पर भी इसमें कीटाणु नहीं पनपते । हिन्दू लोग गंगा जल से पूजा-पाठ करते हैं लोग इससे तिलक करते हैं ।
उद्गम स्थान से चलते हुए गंगा का जल बहुत पवित्र एवं स्वच्छ होता है । हरिद्वार तक इसका जल निर्मल बना रहता है । फिर धीरे- धीरे इसमें शहरों के गंदे नाले का जल और कूड़ा-करकट मिलता जाता है । इसका पवित्र जल गंदा हो जाता है । इसकी गंदगी मानवीय गतिविधियों की उपज है । लोग इसमें गंदा पानी छोड़ते हैं । साबुन से नहाते भी देखे जा सकते हैं।इसमें सड़ी-गली पूजन सामग्रियाँ डाली जाती हैं । इसमें पशुओं को नहलाया जाता है और मल-मूत्र छोड़ा जाता है । इस तरह गंगा प्रदूषित होती जाती है । वह नदी जो हमारी पहचान है, हमारी प्राचीन सभ्यता की प्रतीक है, वह अपनी अस्मिता खो रही है।जल्दी ही ध्यान न दिया गया तो इसमें गंदगी ही गंदगी हो जाएगी।
गंगा नदी अपने तटवर्ती क्षेत्रों की भूमि को उपजाऊ बनाकर चलती है । भूमि को यह सींचती भी है । अत: कृषि की समृद्धि में इसका बहुत योगदान है । जैसे-जैसे गंगा नदी आगे बढ़ती है, उसमें कई नदियों मिलती जाती हैं । इसकी धारा वेगवती होती जाती है । वर्षा ऋतु में तो इसमें कई स्थानों पर बाढ़ आ जाती है । बाढ़ से फसलों और संपत्ति की भारी हानि होती है । अंत में यह बंगाल में घुसती है । यहाँ इसकी धारा सुस्त पड़ जाती है जिससे बेसिन का निर्माण होता है । फिर यह बंगाल की खाड़ी (समुद्र) में समा जाती है । इस प्रकार गंगा नदी की यात्रा समाप्त हो जाती है ।
गंगा नदी का भारतीय संस्कृति में सर्वोपरि स्थान है । इसलिए इसे राष्ट्रीय नदी घोषित कर दिया गया है । गंगा की सफाई के लिए कुछ कार्ययोजनाएँ भी बनाई गई हैं । लोगों को इसमें सहभागिता करनी चाहिए । गंगा जल को प्रदूषण से मुक्त रखने के लिए हमें प्रयास करने चाहिए ।तो आइए हम सब प्रण लेते हैं कि माँ गंगा की पवित्रता को बचाने का हरसंभव प्रयास करेंगे। जय माँ गंगे,हर हर महादेव।
डॉ मंजु सैनी
गाज़ियाबाद