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12 Jul 2019 · 1 min read

नमन

है नमन इस धन्य धरती के,
जन्मे समस्त रणधीरों का।
है नमन चिरनिद्रा सो रहे,
मिट्टी में हर शमशीरों का।।

आज भी है इन हवाओं में,
जिनकी महकती वीरगाथा।
कर नमन मुनीन्दर, हमीद सम,
सभी कालजयी रणविरो का।।

यह गाज़ीपुर कि पुण्य धरती,
उन्मुक्त वीरों कि खदान है।
कारगिल के आठों शहीदों,
का फैला यहाँ यशगान है।।

शेरपुर जने अष्ट शहीदी,
जो इतिहास ऐसे रच गए।
लहुरी काशी के वो प्यारे,
बन के चाँद तारे जँच गए।।

जाने कितने अंग मिट गए,
यूँ मातृभूमि के सम्मान में।
यह चिद्रूप है जो सुनाता,
किया उनका ही आह्वान ये।।

सुनो उनके ही आशीष से,
मैं नव चेतना जागृत करूँ।
अपने वाणी को अक्षरशः
उनके गाथा से अमृत करूँ।।

©® पांडेय चिदानंद “चिद्रूप”
(सर्वाधिकार सुरक्षित २५/०६/२०१९)

Language: Hindi
1 Like · 534 Views
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