नमन है तुझको हिन्दुस्तान
कविता-
” नमन है तुझको हिन्दुस्तान ”
—-
नव प्रभात की स्वर्णिम किरणें ,
करती नित्य श्रंगार ।
ऊंचे-ऊंचे पर्वत सुंदर,
बने मेखलाकार ।
झर-झर करते निर्मल झरने ,
देते पांव पखार ।
गंगा यमुना का अमृत जल,
करे नित्य यश गान ।
नमन है तुझको हिन्दुस्तान…..।
ब्रह्मपुत्र ,कावेरी ,सरिता ,
कल-कल बहती जाती ।
बढ़े चलो तुम मंजिल पथ पर ,
पल-पल कहती जाती ।
देश प्रेम की अमर कथाएँ ,
नया जोश भर देतीं ।
यही ऊर्जा स्फूर्ति ही ,
दुश्मन को हर लेती ।
मंदिर मस्जिद गुरुद्वारों से ,
सदा गूंजते ज्ञान ।
नमन है तुझको हिन्दुस्तान…..।
लेकिन अब अफसोस हो रहा ,
वर्तमान परिदृश्यों पर ,
शर्मनाक जो घटित हो रहे ।
हालातों और दृश्यों पर ।
जन गण मन है त्रसित आजकल ,
देख नित्य हालातों को ।
भ्रष्ट और लाचार व्यवस्था ,
होते निस दिन घातों को ।
जिसके सर पर भार देश का ,
वो बस करते है आराम ।
नमन है तुझको हिन्दुस्तान…..।
– © प्रियांशु कुशवाहा,
शासकीय महाविद्यालय,
सतना ।
मो.9981153574