*नमन सकल जग के स्वामी 【भक्ति गीतिका】*
नमन सकल जग के स्वामी 【भक्ति गीतिका】
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(1)
नमन सकल जग के स्वामी ,सौ बार तुम्हारे चरणों में
हे प्रिय मित्र-पिता-माता , सत्कार तुम्हारे चरणों में
(2)
जब भी आते हो आकर मधु ,अमृत हमको दे जाते
नमस्कार ऋतुराज , पुष्प के हार तुम्हारे चरणों में
(3)
जब होता आभास तुम्हारा ,सारा दुख मिट जाता है
नमन-नमन सुख के सागर ,भंडार तुम्हारे चरणों में
(4)
देख तुम्हें इन आँखों से ,हम कब पाते हैं हे भगवन
नमन चक्षु-दाता करुणा-अवतार तुम्हारे चरणों में
(5)
तुम त्रेता में राम ,तुम्हीं द्वापर में कृष्ण कहाते हो
साधु-जनों की रक्षा का ,आभार तुम्हारे चरणों में
(6)
यह भारत की भूमि धन्य है ,जिसमें प्रभु तुम खेले हो
नदी-जलधि-पर्वत का सब ,श्रंगार तुम्हारे चरणों में
(7)
प्रभु हमें भावना दो जिससे ,वसुधा कुटुंब बन जाए
विनय यही है हो ऐसा ,परिवार तुम्हारे चरणों में
(8)
सब में हम देखें आत्मतत्व ,वह ही भीतर जो पाया
निराकार को यों देखें ,साकार तुम्हारे चरणों में
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रचयिता : रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा
रामपुर( उत्तर प्रदेश )
मोबाइल 99976 15451