नमन मातृभूमि तूझे
हे मातृभूमि
सपूतों की
देश में तेरे
कमी नहीं
जान पर
खेल जाते है
नहीं सोचते
आगे-पीछे कुछ
मातृ भूमि ही है
सब कुछ उनके लिए
दुश्मन चाहे चल ले
चालें कितनी भी
कभी न डरे
कभी न हटे
कर्तव्य पथ से अपने
ऐसे हैं मातृभूमि
तेरे सपूत
कश्मीर से
कन्याकुमारी तक
हे तेरे ही वीर सपूत
हर जगह
जब भी आए संकट
मातृभूमि तूझे पर
न्योछावर करत हैं
अपनी जान
वीर सपूत
भारत माँ तूझे पर
नमन है बारम्बार
हे मातृभूमि तूझे
विश्वास है
वीर सपूतों पर
बाल का बांका भी
नहीं देंगे
हे मातृभूमि
सपूत तेरे
स्वलिखित लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल