नमन करूं द्वार तेरे मै पावन
निर्मल हुआ है तन मन
उज्ज्वल हुआ है जीवन
चरणों मे जब मिली शरण
मेरे जगत प्रभु रघुनंदन ।
सुखमय हुआ है अन्तर्मन
हर सांस हुई है चन्दन
किया जब, सब तुझको अर्पण
माया मोह का टूटा बन्धन ।
कृपा हुई है तेरी अगिन
हाथ जोड़ कर करूं अभिनन्दन
मोड़ न लेना अपने नैनन
भूल कभी हो जाये अचेतन ।
हो न जाये जालिम अभिमान
सब को देखूं एक समान
गर्मी सर्दी हो या सावन
नित नमन करूं, द्वार तेरे मै पावन ।।
राज विग