नफरत की आग
नफरत की आग दिल में लगाते रहोगे
दिल अपना खुद का यूँ जलाते रहोगे
इस तरह जलने से राख है मिलती
कब तक दिल में कालिख बनाते रहोगे
जिंदगी कुछ इस तरह इम्तिहान लेती
तीखे शब्दो के तीर तुम चुभाते रहोगे
शब्दो के तीरो से छलनी हुआ दिल
कब तक यूँ तुम दिल को मनाते रहोगे
करते हो “नवल” तुम उससे मोहब्बत
यह बाते कब तक तुम छिपाते रहोगे
निहाल छीपा “नवल”
गाडरवारा