नफरतों के_ शहर में_ न जाया करो
नफरतों के_ शहर में_ न जाया करो
भीड़ में आजकल तुम ही खो जाओगे
बात करते है वो कुछ समय के लिए
फिर अकेले _भटकते ही _रह जाओगे
दिल में सपने सजाकर पिरोगे तुम
चांदनी रात _में रोते _रह जाओगे
वो चले जायेंगे तुमसे मुंह मोड़कर
फिर अकेले तड़पते ही रह जाओगे
कृष्णकांत गुर्जर