नफरतों के शहर मे मैने बनाया है बसेरा
बाग में मैं वो भी पौधे सींचता हूँ
जो करें काँटों से घायल बदन मेरा
नफरतों के शहर में मैने बनाया है बसेरा
बच्चों पर किलकारियाँ मैं फेंकता हूँ
अपंगों को लाठियां मैं बेचता हूँ
हांथ जिनके हुये हैं लाचार उनको
हांथ बनके डंडा उनका टेकता हूँ
ऐसे लोगों से भी हूँ मैं प्यार करता
कर दिया है जिनने बेड़ा गर्क मेरा
नफरतों के शहर में मैने बनाया है बसेरा
दुश्मनों के लिए तो मैं हूँ कटारी
आग के शोलों पे मैं हूँ बर्फ़बारी
रात है आतंक की पलती जहाँ पर
मैं उगाता हूँ वहाँ पर फसल प्यारी
उगलते हैं विष जहाँ विषधर भयंकर
है वहीं अमृत का कारोबार मेरा
नफरतों के शहर में मैने बनाया है बसेरा
आग मे जौहर है जिनने दिखाया
प्राण देकर भी बचन जिनने निभाया
देश की रक्षा की खातिर जिनने अपना
माँग का सिंदूर भी हँसकर मिटाया
वीरांगनाओं का जहाँ बसता मोहल्ला
वहीं मैं सिंदूर ले करता हूँ फेरा
नफरतों के शहर में मैने बनाया है बसेरा
बाग में मैं वो भी पौधे सींचता हूँ
जो करें काँटों से घायल बदन मेरा
नफरतों के शहर में मैने बनाया है बसेरा