ख़ुद्दार बन रहे हैं पर लँगड़ा रहा ज़मीर है
शुरू करते हैं फिर से मोहब्बत,
समय अपवाद से नहीं ✨️ यथार्थ से चलता है
** लोभी क्रोधी ढोंगी मानव खोखा है**
23/180.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
वो आइने भी हर रोज़ उसके तसव्वुर में खोए रहते हैं,
निंदा वही लोग करते हैं, जिनमें आत्मविश्वास का
मेरा हमेशा से यह मानना रहा है कि दुनिया में जितना बदलाव हमा