नन्ही-सी जान
देखो एक खिलखिलाती मुस्कान जन्म लेती हुई नन्ही-सी जान
चमकती हुई आँखे है
उन आँखो मे है तहजीब का ग्यान
चेहरे पर एक खुशी है
लेकिन उस जननी की आँखे भीगी है
गोद मे लिए उसे अपने
आँचल से छुपा रही है
कि कोई देख न ले उसे
चोट न कोई पहुँचाए
दुर्भाग्य कहती है उस बेटी का
जिसने कुछ पल अपने माँ के साथ है बिताएँ
उम्मीदों की एक बरखा थी
कुछ लोगो की चाह थी
बेटी को अस्तित्व मे देख
उन्ही लोगो के हाथ मे म्यान से निकली तलवार थी
उस बेटी की रोदन
भी सुनों
केवल आत्मज का बल न देखो
घर के अंधियारी मे जो दिया जले वो बत्ती नही उस
बेटी की खनक को देखो
भूले तो जमाना ये जग
भूले तो वो भी थे
जिन्हे लगा पंछी एक पर से उड़े
वो उड़ान भी केवल एक भरम ही थे.
– शिवम राव मणि