नन्हीं – सी प्यारी गौरैया।
नन्हीं – सी प्यारी गौरैया।
फुदक – फुदककर चुगती दाने
चूँ-चूँकर गाती मृदु गाने,
घर – आँगन है रैन – बसेरा
छत चढ़ करती ता-ता थैया।
नन्हीं – सी प्यारी गौरैया।
जोड़ रही चुन तिनके- तिनके
नीड़ अपरिमित मोहक जिनके,
वास्तुकला की अनुपम रचना
खर्च नहीं है एक रुपइया।
नन्हीं – सी प्यारी गौरैया।
जग के पहले ही जग जाती
नीड़ छोड़ निज पर फैलाती,
बच्चों के मुख में भर दाने
करती मज्जन ताल – तलैया।
नन्हीं – सी प्यारी गौरैया।
अनिल कुमार मिश्र।