नन्हीं चिड़ियाँ
चिड़ियाँ चूँ- चूँ करती,
सुबह-सुबह नभ में विचरती,
रंग-बिरंगी दिखती ।
दाना खाना ढूंँढती,
चोंच में भर घर लाती,
बच्चों को खिलाती ।
मधुर-मधुर गाती,
खिड़की पर दस्तक दे जाती,
इठलाती इतराती नाचती ।
घोंसलों के इर्द-गिर्द,
कर्तव्य दिखाती प्यार जताती बहलाती,
पंखों से छुपाती ।
इधर-उधर फुदकती,
भरे हुए जल से नहाती,
प्यास वहीं बुझाती ।
दोपहर में सोती,
बच्चों अंण्डो की रक्षा करती,
गहरा एहसास जगाती ।
सांँझ होते देख,
नीड़ को छोड़ उड़ जाती,
दाना खाना लाती।
रात्रि में ठहरती,
सुखद विश्राम घोंसले में करती,
भोर को तकती ।
#रचनाकार- बुद्ध प्रकाश; मौदहा,
हमीरपुर ,उत्तर प्रदेश ।