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24 Jan 2017 · 1 min read

नन्हीं कूची से हर लूँ अंधियारा….

….. #नन्हीं_कूची_से_हर_लूँ_अंधियारा….??

गहरे समंदर-सी है हमारी जिन्दगानी…
जाने कब तक मिलेगी जीवन को रवानी…
बादलों की गहरी-सी घटा कब छटेगी…
जाने कब तक निकलेगा इंद्रधनुष सतरंगी…
.
तकदीर सुनहरी लिखना है कर्तव्य हमारा…
नन्हीं कूची बना दे प्रकृति का सौन्दर्य सुनहरा…
सूर्योदय लायेगा इक सुनहरा सबेरा…
नन्हीं कूची से भर दूँ उजियारा…
.
बिगड़ा संतुलन नन्हीं कूची ने सुधारा…
भर दिया नन्हें हाथों ने प्रकृति का जख्म गहरा…
खिलखिला उठी सहमी सम्पूर्ण धरा…
नन्हीं कूची से हर लूँ अंधियारा…
.
रंगीन ख्यालों की अपूर्ण चित्रकारी…
सौन्दर्य निर्माण है हम सबकी जिम्मेदारी…
मैं भी बनी हूँ प्रकृति की सहकारी…
जरूरत नहीं अधिकारी की न ही अहंकारी की….
(#स्वरचित)
#rahul_rhs

Language: Hindi
454 Views
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