नन्हा मानव
यदि एक वायरस दुनिया में, मृत्युंजय बन जायेगा ।
अदृश्य शत्रु से फिर कैसे, नन्हा मानव लड़ पायेगा।।
घबराकर पीछे भागेगा, मिथ्या सुख साधन छोड़ेगा ।
जितनी आवश्यक होगी, उतनी ही चादर ओढेगा ।।
यदि एक वायरस दुनिया में, मृत्युंजय बन जायेगा ।
अदृश्य शत्रु से फिर कैसे, नन्हा मानव लड़ पायेगा।।
घबराकर पीछे भागेगा, मिथ्या सुख साधन छोड़ेगा ।
जितनी आवश्यक होगी, उतनी ही चादर ओढेगा ।।