नन्दू भए जवान
नंदू भये जवान
कौन सा आटा खाते
कहाँ करते पिसान।
बढ़ी उमर,चढ़ी कमर,पर
नन्दू भये जवान।
देख एकदिन घर खाली
बजाए नन्दू भैया ताली
और भौजी संग
खेलन लगे कबड्डी,
जरा गुर्राई,पकड़ी कलाई
नन्दू की तो शामत आई
हिल न पाए फिसड्डी,
और टूट गई फिर हड्डी।
नन्दू हुए हलकान।
छोड़ो नन्दू बात पुरानी,
रही नही अब वो जवानी,
हो जाओ,सावधान।
नन्दू भये जवान।
-नवल किशोर सिंह
25-08-2018