नदी की तीव्र धारा है चले आओ चले आओ।
नदी की तीव्र धारा है, चले आओ चले आओ।
नहीं दिखता किनारा है, चले आओ चले आओ।
हरे! उद्यत हुआ अर्जुन खड़ग बस त्याग देने को,
उसी ने फिर पुकारा है, चले आओ चले आओ।
©ऋतुपर्ण
नदी की तीव्र धारा है, चले आओ चले आओ।
नहीं दिखता किनारा है, चले आओ चले आओ।
हरे! उद्यत हुआ अर्जुन खड़ग बस त्याग देने को,
उसी ने फिर पुकारा है, चले आओ चले आओ।
©ऋतुपर्ण